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Kanakdhara stotra in hindi - कनकधारा स्तोत्र हिंदी में | kanakdhara strot hindi mein | भास्कर पंडित

Kanakdhara stotra in hindi - कनकधारा स्तोत्र हिंदी में | kanakdhara strot hindi mein | भास्कर पंडित

kanakkdhara stotra ke bare me darshakon dwara search kiye jane wale kuch prachno ke uttar -
1 ) KANAKDHARA STOTRA KI RACHNA KAISE HUI / KANAKDHARA STOTRA KI RACHNA KISNE KI
कनकधारा स्तोत्र की रचना कैसे हुई ? - कनकधारा स्त्रोत की रचना किसने की ?

एक दिन आदि गुरु शंकराचार्य अपने दोपहर के भोजन के लिए घर घर भिक्षा मांगने गए। एक घर में भिक्षा मांगते समय एक बहुत गरीब ब्राह्मण महिला दरवाजे पर आई। आदि गुरु शंकराचार्य जी ने उनसे भिक्षा मांगी महिला ने अपने घर मे बहुत ढूंढा पर उसे कुछ भी खाने के लिए न मिला ,अंत के कुछ मिला तो केवल एक सूखे आंवले का फल उस महिला ने प्रेम पूर्वक वही आंवले का फल आदि गुरु शंकराचार्य जी को दिया ।
आदि गुरु शंकराचार्य उस महिला की दया और निस्वार्थता देख इतने प्रभावित हो गए की उन्होंने देवी लक्ष्मी की प्रशंसा में एक स्तोत्र का पाठ किया जिसे हम कनकधारा के नाम से जानते हैं कनकधारा का अर्थ होता है स्वर्ण की धारा | इस प्रकार माता के इस स्तोत्र द्वारा प्रार्थना पूरी होते ही उसके घर में सोने आंवलों की वर्षा होने लगी और वह महिला माँ लक्ष्मी की कृपा से बहुत धनी हो गयी

2 ) kanakdhara stotra ke fayde / kanakdhara stotra ke labh
कनकधारा स्तोत्र के फायदे / कनकधारा स्तोत्र के लाभ

धन संचय के लिए कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से चमत्कारिक रूप से लाभ प्राप्त होता है। कनकधारा स्तोत्र से जीवन में धन अभाव दूर करने का सबसे शक्तिशाली उपाय माना गया है। शुक्रवार को मां लक्ष्मी की कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में वैभव की प्राप्ति होती है


Kanakdhara stotra - कनकधारा स्तोत्र / कनकधारा स्तोत्र संस्कृत में - kanakadhara stotra in sanskrit

अंगहरे पुलकभूषण माश्रयन्ती भृगांगनैव मुकुलाभरणं तमालम।
अंगीकृताखिल विभूतिरपांगलीला मांगल्यदास्तु मम मंगलदेवताया:
।।1।।
मुग्ध्या मुहुर्विदधती वदनै मुरारै: प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि।
माला दृशोर्मधुकर विमहोत्पले या सा मै श्रियं दिशतु सागर सम्भवाया:
।।2।।
विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्षमानन्द हेतु रधिकं मधुविद्विषोपि।
ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्द्धमिन्दोवरोदर सहोदरमिन्दिराय:
।।3।।
आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दमानन्दकन्दम निमेषमनंगतन्त्रम्।
आकेकर स्थित कनी निकपक्ष्म नेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजंगरायांगनाया:
।।4।।
बाह्यन्तरे मधुजित: श्रितकौस्तुभै या हारावलीव हरिनीलमयी विभाति।
कामप्रदा भगवतो पि कटाक्षमाला कल्याण भावहतु मे कमलालयाया:
।।5।।
कालाम्बुदालिललितोरसि कैटभारेर्धाराधरे स्फुरति या तडिदंगनेव्।
मातु: समस्त जगतां महनीय मूर्तिभद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनाया:
।।6।।
प्राप्तं पदं प्रथमत: किल यत्प्रभावान्मांगल्य भाजि: मधुमायनि मन्मथेन।
मध्यापतेत दिह मन्थर मीक्षणार्द्ध मन्दालसं च मकरालयकन्यकाया:
।।7।।
दद्याद दयानुपवनो द्रविणाम्बुधाराम स्मिभकिंचन विहंग शिशौ विषण्ण।
दुष्कर्मधर्ममपनीय चिराय दूरं नारायण प्रणयिनी नयनाम्बुवाह:
।।8।।
इष्टा विशिष्टमतयो पि यथा ययार्द्रदृष्टया त्रिविष्टपपदं सुलभं लभंते।
दृष्टि: प्रहूष्टकमलोदर दीप्ति रिष्टां पुष्टि कृषीष्ट मम पुष्कर विष्टराया:
।।9।।
गीर्देवतैति गरुड़ध्वज भामिनीति शाकम्भरीति शशिशेखर वल्लभेति।
सृष्टि स्थिति प्रलय केलिषु संस्थितायै तस्यै नमस्त्रि भुवनैक गुरोस्तरूण्यै
।।10।।
श्रुत्यै नमोस्तु शुभकर्मफल प्रसूत्यै रत्यै नमोस्तु रमणीय गुणार्णवायै।
शक्तयै नमोस्तु शतपात्र निकेतानायै पुष्टयै नमोस्तु पुरूषोत्तम वल्लभायै
।।11।।
नमोस्तु नालीक निभाननायै नमोस्तु दुग्धौदधि जन्म भूत्यै ।
नमोस्तु सोमामृत सोदरायै नमोस्तु नारायण वल्लभायै
।।12।।
सम्पतकराणि सकलेन्द्रिय नन्दानि साम्राज्यदान विभवानि सरोरूहाक्षि।
त्व द्वंदनानि दुरिता हरणाद्यतानि मामेव मातर निशं कलयन्तु नान्यम्
।।13।।
यत्कटाक्षसमुपासना विधि: सेवकस्य कलार्थ सम्पद:।
संतनोति वचनांगमानसंसत्वां मुरारिहृदयेश्वरीं भजे
।।14।।
सरसिजनिलये सरोज हस्ते धवलमांशुकगन्धमाल्यशोभे।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम्
।।15।।
दग्धिस्तिमि: कनकुंभमुखा व सृष्टिस्वर्वाहिनी विमलचारू जल प्लुतांगीम।
प्रातर्नमामि जगतां जननीमशेष लोकाधिनाथ गृहिणी ममृताब्धिपुत्रीम्
।।16।।
कमले कमलाक्षवल्लभे त्वं करुणापूरतरां गतैरपाड़ंगै:।
अवलोकय माम किंचनानां प्रथमं पात्रमकृत्रिमं दयाया :
।।17।।
स्तुवन्ति ये स्तुतिभिर भूमिरन्वहं त्रयीमयीं त्रिभुवनमातरं रमाम्।
गुणाधिका गुरुतरभाग्यभागिनो भवन्ति ते बुधभाविताया:
।।18।।
इति श्री कनकधारा स्तोत्रं सम्पूर्णम - kanakdhara stotra sampoorna

Kanakdhara stotra in hindi - कनकधारा स्तोत्र हिंदी में / यहाँ पढ़िए कनकधारा स्तोत्र हिंदी में के कुछ आरंभिक श्लोक

1अर्थ – जैसे भ्रमरी अधखिले कुसुमों से अलंकृत तमाल के पेड़ का आश्रय लेती है, उसी प्रकार जो श्रीहरि के रोमांच से सुशोभित श्रीअंगों पर निरंतर पड़ती रहती है तथा जिसमें सम्पूर्ण ऐश्वर्य का निवास है, वह सम्पूर्ण मंगलों की अधिष्ठात्री देवी भगवती महालक्ष्मी की कटाक्षलीला मेरे लिए मंगलदायिनी हो। महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं
2अर्थ – जैसे भ्रमरी महान कमलदल पर आती-जाती या मँडराती रहती है, उसी प्रकार जो मुरारी श्रीहरि के मुखारविंद की ओर बारंबार प्रेमपूर्वक जाती और लज्जा के कारण लौट आती है, वह समुद्रकन्या लक्ष्मी की मनोहर मुग्ध दृष्टिमाला मुझे धन-सम्पत्ति प्रदान करे।....rest of kanakadhara stotram lyrics in hindi is in the video
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स्वर - भास्कर पंडित
Voice By - Bhaskar Pandit

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"लगाइये आस्था की डुबकी "
~ मंत्र सरोवर ~
@Mantra Sarovar

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