लक्ष्यों की प्राप्ति में प्रेरणा का महत्व
रहे थे, किसी को देखे अच्छा लग जब अब उसी की याद में खुए गूए हैं, पढ़ाइ नहीं हो रही हैं। तो वो भी करना है न, इन्सान बने रहना है, मशीन नहीं बनना है, तो पास दिन पढिये, चड दिन मूब्ध का रखिये, दोस्ती का रखिये, खेलने का रखिये और इन सब चीज़ों को मैनेज करते हुए एक अच्छी लाइफ के साथ अच्छी टार्गेट्स लेके चलेंगी। चोटा-चोटा कॉम्पिटेशन अपने दोस्टों के साथ करते हुए आगे बने, तो मोतिवेशं आमतर बदा रहता है। और जब जब दी मोटिवेशन ज्यादा हो नहीं लगे, तो मेरे जासे किसी की भात सुन लिएजिये, एक दो घंटे के लिए कौबारा फूल जायेगा, और दो घंटे के लिए अगर उस उस फेस के आप निकल गयें, तो चीजें तीक
आप कहें कि मैं सोच रहा हूं कि मैं आई यह से त्यारी कर लों। आपका दोस कहीं कि देख भाई मैं तेरे साथ हूं। सपोट करूंगा। लेकिन ये तीन चार बाते हैं, पहले सुच लो, इन इन बातों प्याजर थीक लगे, तो आगे बढ़ो, क्योंकि लंबी स्टर्गल है। हां, स्टर्गल करोगे तो मैं सासमें हूं, कौई दिक्काप नहीं आईगी। तीस्रा, चोटे-चोटे टार्गेट्स, चोटा-चोटा कौम्पिटेशं जीवन में रखिये। एक लंबी यात्रा एक जट्के में नहीं होती हैं, बहुत चोटे-चोटे टार्गेट्स से पूरी होती हैं। यहसे मैं रोल्स आट घंटे पढ़ूँगा, आज मुझे इतना स्लेबस कर लेना हैं, उत्रा कर लेजीए, एक टाइम टेबल बना रेजीए। टाइम टेबल हमेशा पूरा नहीं होता है, वीक में पास दिन पूरा हो जाए, सही है, दो दिन नहीं होगा। क्योकि इस उम्र में क्या होता है कि पास दिन पढ़ लिए, च्टे दिन जा
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