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तिल चौथ व्रत की कहानी 2023 | चौथ व्रत की कहानी | Til Chauth | Sakat Chturthi Vrat Katha 2023

तिल चौथ व्रत की कहानी 2023 | चौथ व्रत की कहानी | व्रत पूजन विधि | तारीख 2023 | Til Chauth Vrat Ki Kahani , Sakat Chturthi Vrat Katha 2023 | Magh Mass 2023

तिल चौथ व्रत माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता हैं | इस वर्ष तिल चौथ वट 10 जनवरी 2023 मंगलवार को हैं | इस दिन पूजा में श्री गणेश जी व चौथ माता की तिल कुट्टे का भोग लगाया जाता हैं | यह व्रत स्त्रिया अपने पति व पुत्र की दीर्घायु और सफलता के लिए करती हैं | इस व्रत को करने से जीवन में आने वाली बाधाये दुर हो जाती हैं |

माहि चौथ , संकट चतुर्थी व्रत की उद्यापन विधि
जिस किसी भी लडके व लडकी का विवाह हो उस वर्ष तिल चौथ व्रत के दिन सवा किलो तिल या सवा पाव तिल का गुड से बना तिल कुट्टा चौथ माता व गणेश जी भगवान को चढ़ाना चाहिये , और तेरह सुहागिन स्त्रियो को जिमा कर एक – एक ब्लाउज व सुहाग की सामग्री भेट स्वरूप दे देवे | एक बेस [ साड़ी ब्लाउज पेटीकोट } सुहाग के सब सामान लौंग , बिछिया , सुहाग पिटारी पाँव लग कर सासुजी को दे देना चाहिये |

|| गणेश भगवान व तिल चौथ माता की जय ||

तिल चौथ , संकट चतुर्थी व्रत की कहानी
दो देवरानी जेठानी थी | जेठानी के बहुत धन था देवरानी गरीब थी | देवरानी भगवान गणेश जी की बहुत आराधना करती थी | वो अपनी जेठानी के घर रोज आटा पीसने के लिए जाती थी | जिस कपडे से आटा छानती थी , वो कपड़ा उसके घर लाकर पानी में धो लेती और अपने पति को घोलकर पिला देती | एक दिन जेठानी के बच्चो ने देख लिया व अपनी माँ से बोले कि माँ – माँ चाची तो अपने घर से आटे का कपडा ले जाकर चाचाजी को घोलकर पिला देती है | इस पर जेठानी ने देवरानी को कहा घर जावों तो आटे छानने का कपडा यही रखकर जाया करो | देवरानी ने वैसा ही किया | घर गई तो उसका पति बोला मुझे चूर्ण घोलकर पिला दो | देवरानी बोली की उसने आटा छानने वाला कपड़ा वही रख लिया है | इसलिये मरे पास आपको खिलाने के लिया कुछ भी नहीं है | उस दिन उसके पतिने भूख से व्याकुल होकर उसको लकड़ी ही लकड़ी से खूब मारा | भाग्यवश उस दिन तिल चौथ माता का व्रत था |

श्री गणेश जी का स्मरण करती हुई वह भूखी ही सो गई | तभी थोड़ी देर बाद श्री गणेश भगवान ने आकर कहा , की आज तो तिल चौथ व्रत है , और तू भूखी क्यू सो रही है | तब देवरानी ने सारा वृत्तान्तकह सुनाया | तब भगवान बोले की आज मैने तिल चौथ के कारण चूरमा व तिल कुट्टा बहुत खाया है | इसलिये निमटने की मन है , सो कहा जाऊ | वह बोली महाराज बहुत जगह पड़ी है चाहो जहा चले जाओ | गणेश जी ने सारा घर सन दिया | निबटने जाकर बोले पोछू कहा वह बोली मेरा लिलाट पड़ा है पोंछ लो | गणेश जी पोंछ कर चले गए | थोड़ी देर बाद उठकर देखा ती सारा घर हीरे – मोती से जगमगा रहा था | सारा सिर भी सोने की आभा से चमक रहा रहा था | धन को बटोरने मे देर हो गई इसलिये जेठानी के नहीं जा सकी |जेठानी ने अपने बच्चो को चाची के घर देखने के लिये भेजा की चाची क्यों नहीं आई है ? बच्चो ने आकर अपनी माता से कहा की माँ – माँ चाची के घर में अब बहुत धन हो गया है |

जेठानी भागी – भागी अपनी देवरानी के पास आई और पूछा की इतना धन कैसे हुआ ? भोली – भली देवरानी ने सारी घटना सच – सच बता दी | इतना सुनकर जेठानी अपने घर आई और अपने पति को बोली की मुझे लकड़ी ही लकड़ी से बहुत मारो | देवरानी को देवर जी ने बहुत मारा इसलिये उसके बहुत धन हो गया | उसका पति बोला – भाग्यवान अपने अन्न धन के भंडार भरे हैं तू धन के लालच में क्यों मार खाती है | लकिन वो नहीं मानी और बहुत मार खाकर अपना मकान खाली करके गणेश जी का स्मरण करके सो गई | गणेश जी महाराज आये ,और कहने लगे ,फालतू में मार खाने वाली उठ और मुझे बता की मै कहा निमटने जाऊ तब वो बोली मेरी देवरानी का छोटा – सा मकान था, मेरे तो बहुत बड़ा मकान है जहा इच्छा हो वही चले जाओ गणेश जी ने निमटना कर लिया | अब बोले पुछु कहा तू जिठानी ने गुस्से से बोली मेरा लिलाट पड़ा है | पोछ कर चले गये थोड़ी देर बाद आकर देखा तो सारा घर सड रहा था और बदबू आ रही थी| तब वो बोली , हे गणेश जी महाराज ! आपने मेरे साथ छल – कपट किया है | देवरानी को तो धन – वैभव दिया और मुझे कूड़ा दिया |

गणेशजी आये और बोले तूने धन के लालच में मार खाई | जेठानी क्षमा – याचना करने लगी | हे गणेशजी भगवान ! मुझे तो धन नहीं चाहिये यह सब पहले की तरह कर दो | तब गणेशजी बोले कि अपने धन में से आधा धन देवरानी को दे जब ही में अपनी माया ठीक करूंगा | जेठानी ने आधा धन देवरानी को दे दिया | परन्तु कही एक सुई धागा रह गया जब जेठानी ने सुई धागा देवरानी ने दिया तब भगवान गणेश जी अपनी लीला समाप्त कर दी |

रिद्धि – सिद्धि के दाता गणेशजी भगवान ! जैसा आपने जेठानी के साथ किया वैसा किसी के साथ नहीं करना | जैसे देवरानी के भंडार भरा वैसे सभी के भरना | कहानी कहने , सुनने हुंकारा भरने वालो की मनोकामना पूर्ण करना |

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सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।
इन्हीं मंगलकामनओं के साथ आपका दिन मंगलमय हो

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